Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 2 min read

इंसानियत

दोस्तों, इंसानियत पर कुछ भी लिखना मेरा पसंदीदा विषय रहा है, आज भी मेरी आंखों के सामने इंसानियत फिर से शर्मसार हुयी। दोस्तों आज दिल्ली मैटो् में यात्रा करते समय मेंने देखा कि एक वृध्द़ पुरूष भीड़ के चलते महिला सीट पर बैठ गया, कुछ ही स्टेशन के बाद देखा कि एक लड़की मैटो् में प्रवेश करती है, और उस वृध्द़ पुरूष को उंगली से महिला सीट की तरफ इशारा करते हुए उस पुरूष को उठा देती है, जैसा कि उस वृध्द़ व्यक्ति ने कोई जुर्म कर दिया हो? बेचारा चुपचाप उठ कर ख़डा़ हो गया,ये दृश्य देखकर मुझसे रहा नहीं गया, में पास की सीट से उठकर उस बूढे व्यक्ति को अपनी सीट पर बैठने को बोला, उस वक्त मेरी निगाह हर बैठे इंसान को टकटकी़ लगाए देख रही थी कि सारे लोग गर्दन झुकाये अपने फोन में बिजी,क्या आज हम अपने आराम और स्वार्थ में इतने लीन हो गये हैं कि इंसानियत को छोड़ के आगे बढ निकलना चाहते हैं, क्या सिर्फ महिला सीट रिजर्व होने से क्या आप का उसके ऊपर आपका अधिकार हो गया क्या?ये सिर्फ सुविधा है, आज कल के युवा और,नौकरी पेशे वाले इतने स्वार्थी हो गये कि कुछ पल अगर वो लोग खडे़ होकर यात्रा कर लेंगे तो क्या ज्यादा थक जायेंगे, या कुछ देर अपने मोबाईल में यूट्यूब, मूवी नहीं देख पायेंगे तो अनर्थ हो जायेगा?? नहीं ऐसा नहीं हैं, हम लोग अपने संस्कारों को भूलकर आज की भाग दौड़ भरी जिदंगी में इतने मद़मस्त हो चुके हैं कि मानव मूल्यों और भलाई के कार्य करने की पहल कर ही नहीं पाते,आज की सदी में जहां हर महिला, पुरूष की बराबरी की,और कन्धे से कन्धे मिलाकर चलने की बात जरूर करती हो, पर आज भी हम अपने अन्दर इंसानियत नाम का सोफ्टवेयर अपडेट़ नहीं कर पायें हैं, दोस्तों ये सब हमारे संस्कारों की ही देन होती है जहां उस लड़की ने उस बूढे़ को उठा दिया, जबकि कितनी बार मेंने खु़द सीट पर बैठे ही किसी भी महिला,वृध्द और असहाय लोगों को देखकर तुरंत अपनी सीट खाली की है,और हमेशा महिलाओं को वरीयता दी है, मेरा किसी भी महिला या पुरूष जाति विशेष पर कट़ाक्ष नहीं है,क्योंकि मेंने ऐसा पुरूषों के साथ भी महसूस किया है।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 119 Views

You may also like these posts

हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
3096.*पूर्णिका*
3096.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की?
दीपक झा रुद्रा
हर-सम्त शोर है बरपा,
हर-सम्त शोर है बरपा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
प्रेम के दो  वचन बोल दो बोल दो
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
Dr Archana Gupta
" पहचान "
Dr. Kishan tandon kranti
"नजरे"
Shakuntla Agarwal
मिसाल
मिसाल
Poonam Sharma
यमराज मेरा मेहमान
यमराज मेरा मेहमान
Sudhir srivastava
सामाजिक बहिष्कार हो
सामाजिक बहिष्कार हो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
Neha
वजह बन
वजह बन
Mahetaru madhukar
ईश्वर की अजीब लीला है...
ईश्वर की अजीब लीला है...
Umender kumar
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
बसंत पंचमी।
बसंत पंचमी।
Kanchan Alok Malu
पप्पू की तपस्या
पप्पू की तपस्या
पंकज कुमार कर्ण
👌
👌
*प्रणय*
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
Pratibha Pandey
उपवास
उपवास
Kanchan verma
_सुविचार_
_सुविचार_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
दोहावली
दोहावली
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
ख़ामोश
ख़ामोश
अंकित आजाद गुप्ता
Excited.... इतना भी मत होना,
Excited.... इतना भी मत होना,
पूर्वार्थ
शीर्षक तेरी रुप
शीर्षक तेरी रुप
Neeraj Agarwal
★आखिरी पंक्ति ★
★आखिरी पंक्ति ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
शनि देव
शनि देव
Rambali Mishra
कैसे ज़मीं की बात करें
कैसे ज़मीं की बात करें
अरशद रसूल बदायूंनी
बह्र .... 122 122 122 122
बह्र .... 122 122 122 122
Neelofar Khan
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Loading...