Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2024 · 1 min read

मेरा वजूद क्या

” मेरा वजूद क्या है ?”

बचपन में मैं मां मांकी गोद में पलकर ,
बिन चाहत के उतरा खिलौनो को देखकर

अपनो के लाड़ में पलकर ,
आदत से ख्वाहिशों को जोड़कर
ख्वाहिशों की पुर्ति में रहकर
लालच से मजबूर होकर चला
मै खुद को षड्यन्य में जोड़कर

बचपन की बचकानी हरकत परे रही
पचपन की जवानी चाहकर ढलती रही
काले कारनामो का पता नही
काले केश इस मजबुर की मजबुरी से खता कही

उगते सुरज कोओरो की क्या मै खुद भी प्रणाम करता हूँ
अस्त हुआ इस फिजा में बदनसीब को आखरी सलाम करता हूँ

कालीमा बालो की सुन्दरता संग दफा हुयी
दांतो की तरुणाई बुढापे से खफा हुयी

झर-झर करते इस बदन में हिम्मत ने भी रस्ता देखा
ज्ञान, दिप को बुझाकर मृगनयनी झुथि ख्वाहिशों पर फिदा हुयी

आधुनिकता के शोर में, मैं मुसाफिर अपना वजूद खोज रहा
मन के प्रकोप से उठे ख्यालो में खुद अपना सवाल खोज रहा

जीवन पथ पर यह चलने में विरान बन
इस मन की निस्कर्मणता का प्रमाण है।

बैठ अकेला सोच रहा आखिरकार मेरा जन्म का लक्ष्य क्या ?
काम-काज आज यूं खफा हुए बदनसीबी की आज रजा हुयी
नालायकी के शोर में मां-बाप की चिन्ता का ढेर हुआ

तानो के नीरज से इस बदनसीबी को जकड़ता हूँ
दिमागी छुछुंदर से मतिभ्रम को पकड़ता हूँ

अकेले इस संसार में सुझ ले एकांकी का वजूद खोजकर
खुद के मन से पूछता हूं आख़िरकार मेरा वजूद क्या है

141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

स्पोरोफाइट
स्पोरोफाइट
Shailendra Aseem
लघुकथा -
लघुकथा - "कनेर के फूल"
Dr Tabassum Jahan
या खुदा, सुन मेरी फ़रियाद,
या खुदा, सुन मेरी फ़रियाद,
पूर्वार्थ देव
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
कविता
कविता
Nmita Sharma
शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
C S Santoshi
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
समसामायिक दोहे
समसामायिक दोहे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" बीकानेरी रसगुल्ला "
Dr Meenu Poonia
प्यार जताना नहीं आता मुझे
प्यार जताना नहीं आता मुझे
MEENU SHARMA
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
Tushar Jagawat
"किस बात का गुमान"
Ekta chitrangini
गर मयस्सर ये ज़ीस्त हो जाती
गर मयस्सर ये ज़ीस्त हो जाती
Dr fauzia Naseem shad
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
होना
होना
Kunal Kanth
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
माना सब संसार में,
माना सब संसार में,
sushil sarna
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
Rajesh vyas
तरकीब
तरकीब
Sudhir srivastava
कुछ परिंदें।
कुछ परिंदें।
Taj Mohammad
प्रिय गुंजन,
प्रिय गुंजन,
पूर्वार्थ
हां..मैं केवल मिट्टी हूं ..
हां..मैं केवल मिट्टी हूं ..
पं अंजू पांडेय अश्रु
*आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)*
*आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
Lokesh Sharma
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
Manisha Manjari
4721.*पूर्णिका*
4721.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,
Shyam Sundar Subramanian
..
..
*प्रणय प्रभात*
कोई शिकवा नहीं
कोई शिकवा नहीं
Dr. Rajeev Jain
Loading...