यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
हलचल इधर भी है तो हलचल उधर भी होगी ही!
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जेठ सोचता जा रहा, लेकर तपते पाँव।
नेता जी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
रिश्ते खून के नहीं विश्वास के होते हैं,
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सरिए से बनाई मोहक कलाकृतियां……..