Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Jul 2024 · 1 min read

आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,

आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
लेकिन रिश्तों में आज अजनबीपन छाया है ।
रिश्तों की मर्यादा ने सारी सीमाएं लांघ ली हैं ,
यहां अब अपनों ने ही अपनों की जान ली है ।

मौलिक
पूनम दीक्षित
रामपुर, उत्तर प्रदेश

Loading...