19–🌸उदासीनता 🌸

19–🌸उदासीनता 🌸
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तुम क्या समझोगे और क्यों
किस पीड़ा से इंसा गुज़रा है
कोई मर मर के जी रहा है
और कोई जीते जी मर रहा है
तुमने तो न देखा है न भोगा,न सही
न जानोगे किसी की पीड़ा- दुख – उदासी
पर किसी की मुश्किल राह तो देखी होगी
उनके पैर के फूटते छाले तो देखे होंगे
कुछ महसूस किया कि मुहँ फेर लिया
क्या हारे हुए चेहरे रोते नहीं देखे
जिन्हें मंज़िल मिले न मिले
वे राह में आखिर खो क्यूँ जाते हैं?
हर कोई किसी इंसा में सहारा ढूंढता है
न मिले तो हार कर परेशां होता है
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महिमा शुक्ला, इंदौर?. ( मप्र )