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7 May 2024 · 1 min read

भिगो रहा जमकर सावन

भिगो रहा जमकर सावन
भीग रहा मन का आंगन
मदमस्त फुहारें सावन की
रितु ना आवन जावन की
गीत पिया के प्रेम भरे
मन मोह रहे श्रंगार हरे
चहूंओर भरी हरियाली है
हर ओर घटाएं काली हैं
साजन रितु मतवाली है
प्रीत जगाने वाली है
बरस रहा है प्रेमामृत
भिगो रहा मेरा दामन
बरस रहा जमकर सावन
तरवतर किया है घर आंगन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 64 Views
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