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4 May 2024 · 1 min read

कान्हा भक्ति गीत

मोरे मन-मंदिर में कभी यूँ भी आओ कान्हा ।
गूंँजे धुन मधुर तुम बाँसुरी बजाओ कान्हा ।।

हाथ जोड़ जब चरणों में बैठूँ,
मन भक्ति में रम जाये ।
तुझे छोड़ कुछ याद रहे न,
ऐसी भक्ति मिल जाये ।
देकर अपनी भक्ति पावन
मन की पीर मिटाओ कान्हा ।।

साँझ – सवेरे मन के भीतर,
बस तेरी छवि निहारूँ ।
संग तेरा ऐसा मिल जाए,
दुनिया को मैं बिसारूँ ।
आकर मुझको रंग में अपने
कुछ ऐसे रंग जाओ कान्हा ॥

दिनांक :- ०८.०१.२०१६.

Language: Hindi
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