Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

समझ न पाया कोई मुझे क्यों

समझ न पाया कोई मुझे क्यों
———————————–
समझ न पाया कोई मुझे क्यों।। ध्रु।।

अंगारों पे चल रहा हूं
रास्ता खुद बना रहा हूं ।
रोशनी बनके फैल रहा हूं
अंधेरे को चीर रहा हूं।
जंजीरों को तोड़ रहा हूं
दीवारों को फोड़ रहा हूं।
दुश्मनों को मार रहा हूं
लोहा अपनो से ले रहा हूं।।1।।

समझ न पाया कोई मुझे क्यों।।

ऊंची बाते कर रहे हैं
प्रमाण हमसे मांग रहे हैं
तोहमत हमपे थोप रहे हैं।
शब्दों से मैं कर रहा हूं वार
पहन के वर्दी देखो एकबार
तोपों,गोलियों की भडीमार।
मौत के सामने हम बने दीवार
देश के लिए हम बने खुद्दार
दुश्मनों के लिए बने खूंखार।।2।।

समझ न पाया कोई मुझे क्यों।।

तिरंगे की आन बान और शान
यही हैं मेरे देश की पहचान
आंच न आने देंगे उसपर हम कुर्बान।
मर मिटने के लिए हम तैयार
ऐ मां भारती हम सपूतों का प्यार
न्योछावर करे हम जीवन बारबार।
लहराएं हमारा तिरंगा उस पार
जहां तक हो हमारे सांसों की धार
कहता है ये सिपाही बार बार ।।3।।

समझ न पाया कोई मुझे क्यों
पूछता हैं एक सिपाही लगातार।।

मंदार गांगल “मानस”
(पूर्व भारतीय नौसैनिक)

Language: Hindi
1 Like · 57 Views
Books from Mandar Gangal
View all

You may also like these posts

ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
शुभकामना
शुभकामना
DrLakshman Jha Parimal
2645.पूर्णिका
2645.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
छप्पय छंद
छप्पय छंद
seema sharma
Ikrar or ijhaar
Ikrar or ijhaar
anurag Azamgarh
प्रकृति
प्रकृति
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
अवसरवादी होना द्विअर्थी है! सन्मार्ग पर चलते हुए अवसर का लाभ
अवसरवादी होना द्विअर्थी है! सन्मार्ग पर चलते हुए अवसर का लाभ
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
ये दुनिया
ये दुनिया
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिंदगी के अल्फा़ज
जिंदगी के अल्फा़ज
Sonu sugandh
प्रेम कविता ||•
प्रेम कविता ||•
पूर्वार्थ
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक राधा, एक मीरा, एक घनश्याम
एक राधा, एक मीरा, एक घनश्याम
Dr.sima
आओ मिलकर सुनाते हैं एक दूसरे को एक दूसरे की कहानी
आओ मिलकर सुनाते हैं एक दूसरे को एक दूसरे की कहानी
Sonam Puneet Dubey
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
"सपनों की परवाज़" (The Flight of Dreams):
Dhananjay Kumar
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
दर्द कहूं कैसे
दर्द कहूं कैसे
Er.Navaneet R Shandily
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय*
*मातृभूमि की सेवा से हम, पीछे नहीं हटेंगे (गीत)*
*मातृभूमि की सेवा से हम, पीछे नहीं हटेंगे (गीत)*
Ravi Prakash
कर्म
कर्म
इंजी. संजय श्रीवास्तव
खोखले शब्द
खोखले शब्द
Dr. Rajeev Jain
संत का अपमान स्वप्न में भी न करें, चाहे स्वयं देवऋषि नारद आप
संत का अपमान स्वप्न में भी न करें, चाहे स्वयं देवऋषि नारद आप
Sanjay ' शून्य'
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
*मेरे साथ तुम हो*
*मेरे साथ तुम हो*
Shashi kala vyas
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
Anamika Tiwari 'annpurna '
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
Rj Anand Prajapati
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
Ajit Kumar "Karn"
Loading...