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2 Sep 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
02/09/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

अब किस पर विश्वास करें, मित्र छुरा से घोपता, जान समय प्रतिकूल।
सारे काँटें मित्र बने, सीख लिया है फूल ने, हृदय विदारक शूल।।
एक जुर्म के सजा कई, हुआ कभी अंजान में, छोटी सी थी भूल।
साधारण सी बात कही, पता नहीं कैसे हुआ, पकड़ रखे हैं तूल।।

सीधा रहकर देख लिया, घाटे का सौदा रहा, मुफ्त हुए बदनाम।
प्रोत्साहित करते रहते, नजदीकी बढ़ने लगी, बिगड़े सारे काम।।
जीने का ये ढंग रहा, कभी अकेले मत मिलो, आ जाते गृह ग्राम।
लेने के देने पड़े मुझे, इज्ज़त में बट्टा लगा, वापस लौटे धाम।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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