राजा परीक्षित का अंतिम प्रयाण और अश्वत्थामा का शाश्वत श्राप

राजा परीक्षित का अंतिम प्रयाण और अश्वत्थामा का शाश्वत श्राप
गोरक्ष धाम की श्वेतिमा को सुनने उमड़ रहे हैं हजारों श्रद्धालु
सचिन, सूरत / गोरखपुर
राम रामेश्वर मंदिर, सचिन, सूरत (गुजरात) में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिवस पर श्रद्धालुओं ने दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान का अमृतपान किया। इस विशेष अवसर पर विश्व की सबसे कम आयु की अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भागवत कथावाचिका, बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपने दिव्य प्रवचनों से भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।
बाल व्यास जी ने राजा परीक्षित की कथा, अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी के पुत्रों की हत्या, तथा महाभारत के उत्तरकाल के महत्वपूर्ण प्रसंगों पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार राजा परीक्षित, जो महान प्रतापी और धर्मपरायण शासक थे, ने श्रीशुकदेव जी से श्रीमद्भागवत का दिव्य ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष का मार्ग अपनाया।
इसके साथ ही, उन्होंने अश्वत्थामा द्वारा क्रोध में आकर द्रौपदी के पांच पुत्रों की हत्या के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह क्रूर कर्म उसके लिए श्राप बन गया। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से द्रौपदी ने करुणा और क्षमा का अद्भुत परिचय दिया, जिससे समस्त मानवता को सीख मिलती है कि क्षमा केवल एक गुण नहीं, बल्कि दिव्यता का सर्वोच्च स्वरूप है।
इस पावन आयोजन पर शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय जी महाराज ने कहा कि धर्म और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार-प्रसार में बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया जैसी बाल संतों की भूमिका सराहनीय है। वे बचपन से ही श्रीमद्भागवत के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को जागृत कर रही हैं।
बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया: सबसे कम आयु की अंतर्राष्ट्रीय श्रीमद्भागवत कथावाचिका
गोरक्ष धाम, गोरखपुर की श्वेतिमा माधव प्रिया मात्र आठ वर्ष की आयु में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रीमद्भागवत कथा के दिव्य प्रसार में संलग्न हैं। वे सबसे कम आयु की श्रीमद्भागवत कथावाचिका हैं और अब तक कई राज्यों में अपनी अमृतमयी वाणी से लाखों श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर चुकी हैं। वे अपने प्रवचनों में वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण एवं श्रीमद्भागवत पुराण के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर रही हैं।
उनका जन्म धार्मिक एवं आध्यात्मिक चेतना को समर्पित परिवार में हुआ। उनके पिता सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय जी महाराज और माता डॉ. रागिनी पाण्डेय ने उन्हें छोटी आयु से ही श्रीमद्भागवत का अध्ययन कराया। उनकी प्रेरणा से ही श्वेतिमा ने पांच वर्ष की आयु में ही श्रीमद्भागवत का प्रथम प्रवचन दिया, जिसके बाद वे देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गईं।
गोरक्ष धाम की इस बाल संत की वाणी में गूंजता है श्रीकृष्ण प्रेम और अध्यात्म का दिव्य संदेश, जिसे सुनने हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन कथा पंडाल में उमड़ रहे हैं।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का होगा भव्य आयोजन
इस दिव्य आयोजन के संयोजक ई. राहुल सिंह (अध्यक्ष – सामाजिक समरसता संस्था) एवं श्रुति सिंह ने बताया कि कथा के अगले दिवस में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का विशेष आयोजन किया जाएगा, जिसमें भजन, संकीर्तन और विविध धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
इस अवसर पर डॉ. डी. आर. रेवाला, सुशील सिंह, डॉ. ए. के. सिंह, संदीप दीक्षित, कौशल दुबे, जितेंद्र सिंह, जगदीश सहानी, मिथलेश जी, राजमनी पाण्डेय, श्री राकेश भाई शर्मा, अखिलेश शर्मा, प्रकाश भाई, विजय शर्मा, लाल बाबू शर्मा, आचार्य गौरव पाण्डेय, मदन मोहन मालवीय, आकाश, डॉ. रागिनी पाण्डेय, शुभम सिंह, जितेंद्र, कृष्णा सिंह, राम आशीष पाण्डेय, प्रदीप पाण्डेय, दीप नारायण सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा श्रवण कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।
राम रामेश्वर मंदिर में आयोजित इस दिव्य कथा महोत्सव में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है, जो यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक चेतना का प्रकाश समाज को धर्म, प्रेम और सद्भाव की ओर अग्रसर कर रहा है।
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