संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
- अंत ही जीवन की शुरुआत है -
"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
डॉ अरूण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक 😚🤨
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
चलना तुमने सिखाया ,रोना और हंसना भी सिखाना तुमने।
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उफ़ ये गहराइयों के अंदर भी,
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो