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7 Dec 2024 · 1 min read

कल

न कल न पल रहते हैं।
बस आज कल हम हैं।

हम बस कल में जीते हैं।
सोच हमारी आज कल हैं।

हां कल न कभी आता हैं।
सोच उम्मीद हमारी होती हैं।

कल तो बस आज में होता हैं।
भरोसा न पल का भी रहता हैं।

शब्दों में हम आपको बताते हैं।
आज ही बस कल कहता है।

उम्मीदों का कल जो कहते हैं।
सच और कुदरत न समझते हैं।

कल तो बस कल ही होता हैं।
हां मुझे बताओ कल होता हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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