तुम कहते हो कि ज़माना अच्छा नहीं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
कुण्डलियां छंद-विधान-विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
*वन की ओर चले रघुराई (कुछ चौपाइयॉं)*
ज़िंदगी ऐसी जियो , ज़िंदा रहो चहको सदा ,
ख्वाहिशें के पूरा होने की जद में उम्र-एं-रवां है,
One fails forward toward success - Charles Kettering
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
वही व्यक्ति आपका मित्र है जो आपकी भावनाओं की कद्र करे और आपक
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज