वक्त ने क्या क्या किये सितम।
गुरु कुल के प्रति गोपी छंद
तेरे चेहरे को जब भी देखा है मुझको एक राज़ नज़र आया है।
पिता की लाडली तो हर एक बेटी होती है, पर ससुर जी की लाडली होन
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
*** भूख इक टूकड़े की ,कुत्ते की इच्छा***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
करें स्वागत सभी का हम जो जुड़कर बन गए अपने
"हर कहानी के दो पहलू होते हैं, एक वो जो हमको दिखाया जाता है
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।