ज़िंदगी के रंग थे हम, हँसते खेलते थे हम
- धन घटने पर तन (रिश्ता) घटाया मत करो -
समुद्र इसलिए खारा क्योंकि वो हमेशा लहराता रहता है यदि वह शां
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं
कराहती धरती (पृथ्वी दिवस पर)
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
*कुछ पुरातन और थोड़ा, आधुनिक गठजोड़ है (हिंदी गजल)*
हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यूं आज जो तुम्हें तारों पे बिठा दी गई है
चिड़िया ( World Sparrow Day )
मूर्छा में जीते जीते जीवन को नर्क बना लिया।
ग़ज़ल _ दर्द सावन के हसीं होते , सुहाती हैं बहारें !