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18 Mar 2024 · 1 min read

अविरल धारा।

ना जान सका गहराई कोई,
ना ले सका कहीं कोई टोह,

प्रेम है धारा अविरल जिसमे,
नहीं है कहीं कोई मोह,

ना इंतज़ार कि होगा मिलन कभी,
ना भय कि होगा बिछोह,

प्रेम है धारा अविरल जिसमे,
नहीं है कहीं कोई मोह,

उन्मुक्त है हर बंधन से ये,
इसमें नहीं कोई ओहा-पोह,

प्रेम है धारा अविरल जिसमे,
नहीं है कहीं कोई मोह,

विरले ही किसी ने जाना कि कैसे,
अलग है प्रेम और मोह,

प्रेम है धारा अविरल जिसमे,
नहीं है कहीं कोई मोह।

बिछोह का अर्थ-वियोग।

कवि-अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
160 Views
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