Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Feb 2024 · 1 min read

दिल ये इज़हार कहां करता है

दिल ये इज़हार कहां करता है
कद्र न करने वालों पर ही मरता है।

जो चेहरे छुपे रहते हैं नकाबों मे
उनको देख कर भी ये धड़कता है।

कोई वफ़ा करे या कोई करें बेवफाई
कम्बख़त इंतज़ार उसी का करता है।

बहुत मुख्तलिफ तहरीरें है इश्क की
चाहतों में बस एक का दम भरता है।

क्यों बार-बार आवाजे़ दें लौटने‌ की
राह ए इश्क़ से भला कौन मुड़ता है।

सुरिंदर कौर

135 Views
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

खामोश
खामोश
Kanchan Khanna
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
पूर्वार्थ
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
अपनी सत्तर बरस की मां को देखकर,
Rituraj shivem verma
" सावन "
Dr. Kishan tandon kranti
सामान्यजन
सामान्यजन
Dr MusafiR BaithA
आ जाओ
आ जाओ
हिमांशु Kulshrestha
गरीबी में सौंदर्य।
गरीबी में सौंदर्य।
Acharya Rama Nand Mandal
*दो नैन-नशीले नशियाये*
*दो नैन-नशीले नशियाये*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कल
कल
Neeraj Agarwal
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
दोहा पंचक. . . . . गर्मी
दोहा पंचक. . . . . गर्मी
sushil sarna
मृत्यु मेरी दोस्त
मृत्यु मेरी दोस्त
Sudhir srivastava
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
Ashwini sharma
** पर्व दिवाली **
** पर्व दिवाली **
surenderpal vaidya
अपनों की महफिल
अपनों की महफिल
Ritu Asooja
हम भी कहीं न कहीं यूं तन्हा मिले तुझे
हम भी कहीं न कहीं यूं तन्हा मिले तुझे
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Good Morning
Good Morning
*प्रणय*
गीत- किसी से प्यार हो जाए...
गीत- किसी से प्यार हो जाए...
आर.एस. 'प्रीतम'
पछतावे की अग्नि
पछतावे की अग्नि
Neelam Sharma
अपना ईमान तक गवाये बैठे है...!!
अपना ईमान तक गवाये बैठे है...!!
Ravi Betulwala
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
नज़ारे नजरों में समा जाते है ।
Rajesh vyas
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तेरे कदमो की आहट ने
तेरे कदमो की आहट ने
योगी कवि मोनू राणा आर्य
गंगा...
गंगा...
ओंकार मिश्र
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
- परिंदे कैद नही किए जाते -
- परिंदे कैद नही किए जाते -
bharat gehlot
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
Suraj kushwaha
Loading...