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2 Feb 2024 · 1 min read

खामोश

जीवन की राहों में
यूँ ही चलते ~ चलते
हम मिले
मैंने उसे देखा
उसने मुझे देखा
मैंने सोचा
वह कुछ कहेगा
उसने सोचा
मैं कुछ कहूँगी
दोनों अपनी-अपनी जगह
सोचते रहे
और
दोनों ही खामोश रहे।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
वर्ष :- २०१३.

Language: Hindi
206 Views
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