Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

–कहाँ खो गया ज़माना अब–

रिश्तों को समेटकर जज्बात बना करते थे
जज्बात इतने मजबूत की रिश्ते बंधा करते थे
एक आवाज पर सब मिला करते थे
दूसरे के दुःख में शरीक हुआ करते थे !!

बेशक पैसा कम था पर चालाकी नहीं थी
जैसी आज है वो , आवारगी नहीं थी
नजरों की शर्म से , सब बंधे रहते थे
मिल बाँट कर सब की इज्जत किया करते थे !!

रिश्तों का आज जैसा व्यापार नहीं था
नीचता, कपटता , धूर्तपन भी नहीं था
आग में जलाकर बहु को मारता कोई नहीं था
हस-बोलकर मिल – बाँट सब जिया करते थे !!

न जाने इस युग में अब संताने कहाँ जा रही हैं
इज्जत, सम्मान, ईमान बेचकर दुकाने सज रही हैं
जिधर देखो अब फूहड़ता की कोई कमी नहीं है
पुराने दिन लौट आये, बस यही दुआ करते हैं !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 402 Views
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all

You may also like these posts

“समर्पित फेसबूक मित्रों को”
“समर्पित फेसबूक मित्रों को”
DrLakshman Jha Parimal
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
Anand Kumar
आजकल
आजकल
Dr.Pratibha Prakash
"उन्हें भी हक़ है जीने का"
Dr. Kishan tandon kranti
"" *भारत* ""
सुनीलानंद महंत
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
आजकल के समाज में, लड़कों के सम्मान को उनकी समझदारी से नहीं,
पूर्वार्थ
बेवफ़ा इश्क़
बेवफ़ा इश्क़
Madhuyanka Raj
विदाई
विदाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
पल
पल
*प्रणय*
तुम गए हो यूँ
तुम गए हो यूँ
Kirtika Namdev
ग़ज़ल 3
ग़ज़ल 3
Deepesh Dwivedi
अनोखा दौर
अनोखा दौर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पितृपक्ष में फिर
पितृपक्ष में फिर
Sudhir srivastava
नशा के मकड़जाल  में फंस कर अब
नशा के मकड़जाल में फंस कर अब
Paras Nath Jha
आके चाहे चले जाते, पर आ जाते बरसात में।
आके चाहे चले जाते, पर आ जाते बरसात में।
सत्य कुमार प्रेमी
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Neerja Sharma
*मौन*
*मौन*
Priyank Upadhyay
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
पीड़ा का अनुवाद
पीड़ा का अनुवाद
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
कृतघ्न अयोध्यावासी !
कृतघ्न अयोध्यावासी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
آنسوں کے سمندر
آنسوں کے سمندر
अरशद रसूल बदायूंनी
नया   ये   वर्ष   देखो   सुर्खियों  में   छा  गया  है फिर
नया ये वर्ष देखो सुर्खियों में छा गया है फिर
Dr Archana Gupta
3107.*पूर्णिका*
3107.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गीत- जहाँ मुश्क़िल वहाँ हल है...
गीत- जहाँ मुश्क़िल वहाँ हल है...
आर.एस. 'प्रीतम'
मानवता
मानवता
Rekha khichi
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सिलसिला
सिलसिला
Ruchi Sharma
Loading...