Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

मन्नत के धागे

पूजा- पाठ ,धर्म – करम,
भारतीय संस्कृति में परम।

श्रद्धा-विश्वास, आस्था- अनुष्ठान,
दिलाते हमें अलग ही पहचान ।

विश्वास की चरमपराकाष्ठा है मन्नत के धागे,
अपनों की तरक्की के लिए पूर्ण आस्था से बाँधे।

एक विश्वास चलता संग संग,
मनोकामना पूर्ण होगी लाएगी रंग।

हर धर्म ,हर जाति में मन्नत मांगी जाती है,
मन्नत की पूर्ति के लिए प्रभु से आस की जाती है।

पीपल या वट वृक्ष पर बंँधे धागे हैं आस्था के प्रतीक,
कहीं पुत्र प्राप्ति कहीं नौकरी, पाने के आसीस।

मन्नत पूरी होने पर फिर से जाया जाता है,
माथा टेक प्रभु को श्रद्धा पुष्प चढ़ाया जाता है।

यह मन्नत ,यह मान्यताएँ, हैं हमारी संस्कृति की धरोहर,
कहीं तेल चढ़े तो कहीं घोड़ों का अर्पण।

शक्तिपीठ भद्रकाली मेरी आस्था का सबसे बड़ा मंदिर,
मन्नत पूरी होने पर मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं अंदर।

कुरुक्षेत्र का यह मंदिर शनिवार दिन है खास,
अपनी श्रद्धा से चढ़ावा चढ़ा मन्नत का धागा बांधा जाता।

नीरजा शर्मा

Language: Hindi
117 Views
Books from Neerja Sharma
View all

You may also like these posts

3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गीत- किसी को भाव देना भी...
गीत- किसी को भाव देना भी...
आर.एस. 'प्रीतम'
"बता "
Dr. Kishan tandon kranti
"सादगी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
- उलझा हुआ सवाल है लड़को की ज़िंदगी -
- उलझा हुआ सवाल है लड़को की ज़िंदगी -
bharat gehlot
जीवन में ठहरे हर पतझड़ का बस अंत हो
जीवन में ठहरे हर पतझड़ का बस अंत हो
Dr Tabassum Jahan
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
श्रीकृष्ण शुक्ल
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
DrLakshman Jha Parimal
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
भक्ति
भक्ति
Rambali Mishra
गुलदानों में आजकल,
गुलदानों में आजकल,
sushil sarna
खाने में थूक! छी
खाने में थूक! छी
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
शिक्षाविदों का कहना है कि तनाव के भरे आधुनिक दौर में छपी हुई
शिक्षाविदों का कहना है कि तनाव के भरे आधुनिक दौर में छपी हुई
पूर्वार्थ
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
Phool gufran
सौम्य शांतचित्त और गंभीर!
सौम्य शांतचित्त और गंभीर!
Jaikrishan Uniyal
मशहूर तो भले ही ना हुये हैं हम, मगर
मशहूर तो भले ही ना हुये हैं हम, मगर
Shinde Poonam
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
Jyoti Roshni
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
और क्या कहूँ तुमसे मैं
और क्या कहूँ तुमसे मैं
gurudeenverma198
स्वयंभू
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
वर्षा
वर्षा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
शिक्षा
शिक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"समय जब अपने पर उतरता है
Mukul Koushik
Loading...