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17 May 2024 · 1 min read

तुम गए हो यूँ

तुम गए हो यूं, ये मुझे क्या हो रहा है।
तुम गए हो यूं, आज आसमान भी रो रहा है।।

कल तक तो साथ मेरे, आज क्यूँ बेदिली सी है।
इतना अकेला और अकेला,ये बादल क्यों ग़रज रहा है।।

तुम्हारी याद में मैं कासिर हूँ, यह मुनासिब तो नहीं।
तुमने कहा था ऐसा नहीं होगा, नासिर…! ये सब जो हो रहा है।।

तुम्हें ना पसंद, ना सही, मेरा तो ज़रूर है।
एक अकेला जैसा भी है, मेरा इक गुरुर है।।

अब भी उदास हूं कुछ यूं इस तरह मैं।
ये बादल भी आज, मेरे साथ रो रहा है।।

जाने कितना और कितना, ख़लिश तेरी तोड़े जाती है।
याद ब’आद आती है, सम’आ ये परख खो रहा है।।

ये कैसी उलझन है? क्या ये ख़लिश है।
जो कुछ करने जा रहा हूं, सब हो रहा है।।

और ये जो बेबसी-ए-राज जानना चाहते हो तुम।
आप ही देख लो, मन क्या कृतियाँ बुनो रहा है।।

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