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22 Feb 2024 · 1 min read

हमसफ़र

हमसफ़र

ख्यालों की दुनिया से
अहसासों की हक़ीक़त तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

धड़कन की आहट से
रूह मिलन तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

उगते सूरज से
ढलती शाम तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

बिंदिया की चमक से
बुढ़ापे की लकीर तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

नाराज़ खामोशी से
बोलते अल्फाज़ तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

कोरे जीवन से
सिंदूरी स्याही तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

मेरे अस्तित्व से
सुहागिन अंत तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

गमों के रास्तों से
खुशियों की मंजिल तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

अर्धांगिनी रूप से
ममता स्वरूप तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

एक मै एक तुम से
‘हम’ के सफर तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

एक दूजे मे खोकर
एक दूजे को पाने तक
सफर में तुम हमसफ़र रहना ।

– रुपाली भारद्वाज

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