दिल के एहसास में जब कोई कमी रहती है
*रामायण लिख-लिख कर गाते, राधेश्याम कथावाचक (हिंदी गजल)*
मृतक समान है मानुष जिसके मन की टूटी आस,
वतन परस्त लोग थे, वतन को जान दे गए ,
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
* क्यों इस कदर बदल गया सब कुछ*
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
बारिश में संग मेरे भीग जाया करो
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में