Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#16 Trending Author
Dr. Kishan tandon kranti
308 Followers
Follow
Report this post
14 Mar 2025 · 1 min read
” सोच “
” सोच ”
किसी को सताने से
होगा न तेरा भला,
ऐ नादान कुछ तो सोच
नारी को मत जला।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
2 Likes
·
2 Comments
· 28 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
मर्दाना हँसी ताक़तवर हँसी *मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ठोकर
Shekhar Chandra Mitra
*खिलवाओ दावत अगर, छप्पन भोगों संग (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अवतार
Shweta Soni
करगिल के वीर
Shaily
*ये आती और जाती सांसें*
sudhir kumar
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
Rj Anand Prajapati
तलाशता हूँ उस "प्रणय यात्रा" के निशाँ
Atul "Krishn"
कई बार मन करता है रोया जाए... खूब रोया जाए... किसी ऐसे के सा
पूर्वार्थ देव
बेटी का हक़
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
माहिया - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
अश्विनी (विप्र)
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
" मगर "
Dr. Kishan tandon kranti
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
सत्य कुमार प्रेमी
संसाधन का दोहन
Buddha Prakash
मेरी कलम से...
Anand Kumar
पेड़ सी सादगी दे दो और झुकने का हुनर डालियों से।
Madhu Gupta "अपराजिता"
बैरागी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
शेखर सिंह
पिता आख़िर पिता है
Dr. Rajeev Jain
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।
Phool gufran
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
..
*प्रणय प्रभात*
बातों बातों में!
Jaikrishan Uniyal
काश की हमने तुझसे, ये दिल लगाया न होता।
श्याम सांवरा
इतिहास जानता था कि अब वो जाने वाली है
Jitendra kumar
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
Neelofar Khan
Between the two worlds - 8,000 B.C
Shashi Mahajan
जीवन रश्मि
Neha
Loading...