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दिनांक,,,20/07/2024,,,
बह्र,,,,221 – 2122 – 221 – 2122,,,
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🌷गज़ल 🌷
1,,,
आंगन के बीच तुम भी , दीवार मत बनाओ !
नाज़ुक है दिल सभी के,बीमार मत बनाओ !!
2,,,
हाथों में हाथ रक्खो, कुछ यार हम से बोलो !
फिर छोड़ के न जाना,रफ्तार मत बनाओ !!
3,,,,
महंगा पड़े ये सावन, कुछ तो खरीद लाओ !
गर जेब हो ये खाली ,त्योहार मत बनाओ !!
4,,,
मिलता नहीं जहाँ में , आबाद हर सिपाही !
पहनी है उस ने टोपी , दस्तार मत बनाओ !!
5,,,,
हँसती रहो हमेशा , चेहरे पे नूर आये !
सूरत ये खुद से अपनी ,खूंखार मत बनाओ !!
6,,,
जिसका नहीं है लेना ,उसको ज़रा सा दे दो !
हक़ जो नहीं है उनका ,हक़दार मत बनाओ !!
7,,
सारा जहान घूमा, अपना वतन है अच्छा !
जो प्यार बस यहाँ पर , बेकार मत बनाओ !!
8,,,
होती अज़ान देखो, मैं भी नमाज़ पढ़ लूं !
आती हुँ फिर मैं वापस,तकरार मत बनाओ !!
9,,,
मीनार मस्जिदों की ज़ीनत रही हमेशा !
घर में कहीं भी अपने , मीनार मत बनाओ !!
10,,,
सादा सी ज़िन्दगी ये , जीना सुकून का है !
घर ‘नील’ तुम भी अपना ,बाज़ार मत बनाओ !!
✍नील रूहानी ,,,20/07/22,,,🌷,
( नीलोफ़र खान )