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22 Jan 2017 · 1 min read

बेटी का हक़

कवियों ने बेटी पर कईं कविताएं लिखी
किसी ने बेटी की महिमा किसी ने व्यथा लिखी मैंने सोचा क्या कविता लिखने से बेटी को उसका हक़ मिल जायेगा?
अगर मेरे काव्य से कुछ असर हो तो मेरा काव्य सफल हो जायेगा
कवियों की कल्पनाएँ भी खूब पर फैलाएगी
बेटी पर एक नहीं हजार कविताएँ लिख दी जायेगी
कविता भी बेटी
कवियत्री भी बेटी
जिस पर लिखी कविता उसका शीर्षक भी बेटी
काव्य सफल हो जाए अगर
बेटी को उसका हक मिल जाए
दोहरा बर्ताव समाज का
उसके प्रति जो है हट जाए
नवरात्रि में उसका पूजन हो
और गर्भ में वो मारी जाए
मेरे घर भी बेटी हो
जिस दिन परिवार ये चाहेगा
बेटे बेटी में अंतर
उस दिन समाज से मिट जाएगा
सच कहता हूँ मित्रो उस दिन
बेटी को उसका हक मिल जाएगा।
बेटी को उसका हक मिल जाएगा।

©ठाकुर प्रताप सिंह

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