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10 Oct 2022 · 1 min read

जिंदगी तुमसे जीना सीखा

जज्बातों को रोक रोक कर
दिल पर काबू पाना सीखा,
छलके आंसू पोंछ पोंछकर
जाम गमों का पीना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।

पथरीली जलती राहों पर
जल जलकर भी चलना सीखा,
जीवन की ठोकर खा खाकर
गिर गिरकर जरा संभलना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।

नाउम्मीदी के इस आलम में
खुद से उम्मीद लगाना सीखा,
ख्वाबों की अर्थी को अपने
खुद ही कंधा देना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।

बेहतर जीवन के चक्कर में
तनहा तनहा जीना सीखा,
उत्तम कुटुंब के लिए हमेशा
जितने बरस बिताना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सिखा ।।

©अभिषेक पाण्डेय अभि

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