Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक

हमारा मुक़द्दर हमारा रहेगा,
रिश्तों का अस्तित्व पारा रहेगा,
ज़माना ज़माना-ज़माना ज़माना
किसी का हुआ कि तुम्हारा रहेगा

Loading...