दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
Lately, what weighs more to me is being understood. To be se
दिव्य प्रेम
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
नव रूप
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ऐसे नहीं की दोस्ती,कुछ कायदा उसका भी था।
किस हक से मैं तुमसे अपना हिस्सा मांगूं,
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
कोई नहीं होता इस दुनिया में किसी का,
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए