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22 Feb 2024 · 1 min read

ये दिल किसे माने : अपने और बेगाने ?

अपने और बेगाने, ये कैसे माने जाते हैं?
दिल की बातों सही हैं- कैसे पहचाने जाते हैं।

अपनों के साथ खुशी और दुख में,
हर लम्हा बिताते हैं हरदम साथ हम।
लेकिन बेगाने को भी अपना समझ कभी
उसके साथ भी खुशी में खिलखिलाते हैं।

क्या होता है नकली रिश्तों का ये जादू,
जो अपने लगते थे , बेगाने बन ही जाते हैं।

कहीं धड़कनों की ताल पर जिंदगी के गम,
हर पल एक नया मंजिल तलाशते हैं हम।

अपने और बेगाने की ये कहानी,
कई यादगार पल ,नयी रंगत से सजते हैं ,
न उनके साथ, न उनके बिन हस्ती
न करें हैं उन्हें हम याद, पर सपने तरसते हैं !

खोजते अपनों को ,तो बेगाने मिल जाते हैं,
करवट जो लेते हैं ,अफ़साने बदल जाते हैं ।

अपने और बेगाने का ये संगम नहीं संगम
कोई कहे ये ही मोहब्बत है, कोई कहे रिश्ता जंगमI

अपने को पाते हैं हम बेशक, लेकिन,
बेगाने की खोज में खो ही जाते हैं,
अपने करीब हों ,चाहे हों दूर बेगाने
दिल की बातें नकार ,जुदा हो ही जाते हैं।
जिन की झूठी मुस्कान में खो भी जाते हैं।
और कंटीली यादों में उनकी रो भी जाते हैं !

Language: Hindi
84 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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