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19 May 2024 · 1 min read

माँ

माँ रंगोली द्वार की, माँ ही बंदनवार
माँही है मंगल कलश,माँ ही हर त्यौहार
माँ ही हर त्योहार, बनाती ये घर को घर
पापा का भी हाथ, बटाती है हर पग पर
कहे ‘अर्चना’ बात, बड़ी होती है भोली
रिश्तों के ले रंग, सजाती माँ रंगोली

डॉ अर्चना गुप्ता
19-05-2024

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