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22 Feb 2024 · 1 min read

देश की शान बन,कफन में लौट आया हूं

किसी हृदय का उदगार सुन ही लो तुम आज ,
वीरगाथा वीर की , वीर वो वीरों का सरताज I
{ वीर- नाम , वीर – भाई , वीर- बहादुर}
अनादि, अनंत ,चिरंतन मुलाकात लाया हूं,
तिरंगे और सितारों में लिपटी सौगात लाया हूं।
भारत माँ के सरहद पर, शहीदी तय कर आया हूं
देश की आन औ शान बन,तिरंगे में लौट आया हूं।।

देश का मान बढ़ाया है , परिवार की शान बढ़ाई है
हिमालय के हिम शिखर पर, जय पताका फहराई है।
मर कर भी अमर हो गया ,अपनी मिट्टी की खुशबू में
इस मिट्टी की खातिर ही , हंसकर जान गंवाई है।।

लम्बी काली रातों के प्रहरी मित्र, सैन्य गण याद आयेंगे
उरी ,हिमालय, पुलवामा ,सभी रण याद आयेंगे।
इस आज़ादी को सींचा है ,हमने लहू की धार से
बहा जो रक्त का कतरा ,वो कण कण याद आयेंगे।।

रेत के तपते रेगिस्तान, मुझे अब याद आयेंगे
गद्दारी और कपट के तूफान:तुम्हें रब याद आयेंगे!
लिपटा मैं कफन में पर, कोई फ़र्ज़ भूलूंगा नहीं ,
सरहद पर बिताए दिन, मुझे सब याद आयेंगे।।

Language: Hindi
135 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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