Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2024 · 1 min read

कभी-कभी ऐसा लगता है

गीत
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी वैसा लगता है
संशय, भय, दुविधा के मारे
बोलें क्या, कैसा लगता है।।

दरवाजे पर भोर सुहासी
चौखट चौखट ज्यों हों दासी
पंछी का है घर बेगाना
उसका अपना नहीं तराना
निशब्द व्यंजना, शब्द हमारे
बोलें क्या, कैसा लगता है?

कस्तूरी है मन की उलझन
स्वर्ण मृग सा अपना जीवन
ललचाये सीता को वैसे
भटकाए राघव को जैसे
भरत समान कहां अब तारे
बोलें क्या, कैसा लगता है ?

पनघट पनघट प्यास अभागी
जलपरियों पर किरण सुहागी
एक दिवस राधा ने देखा
प्रेम अभागा,विधि का लेखा
विरह मिलन के पल हैं न्यारे
बोलें क्या, कैसा लगता है?

अपनी सांसें, अपना सरगम
अपना उदगम, अपना उद्यम
दो रोटी का उबटन यारा
पिसे पिसे गेहूं संसारा
कैसे कह दें, घुन है प्यारे
बोलें क्या, कैसा लगता है?

सूर्यकांत

Language: Hindi
1 Like · 120 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

हेच यश आहे
हेच यश आहे
Otteri Selvakumar
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
प्रेम जरूरत से है तो पीछे हट जाएँ
प्रेम जरूरत से है तो पीछे हट जाएँ
Dr. Sunita Singh
मुक्तक (विधाता छन्द)
मुक्तक (विधाता छन्द)
जगदीश शर्मा सहज
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
Neelofar Khan
" जमीर "
Dr. Kishan tandon kranti
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
इस भागती दौड़ती दुनिया में, तू थोड़ी समझदारी रख भागने दे लोग
इस भागती दौड़ती दुनिया में, तू थोड़ी समझदारी रख भागने दे लोग
Ritesh Deo
छपने लगे निबंध
छपने लगे निबंध
RAMESH SHARMA
पढ़बअ ना पछतायेक परी
पढ़बअ ना पछतायेक परी
आकाश महेशपुरी
ऐ मोनाल तूॅ आ
ऐ मोनाल तूॅ आ
Mohan Pandey
बहुत दाम हो गए
बहुत दाम हो गए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
तड़ाग के मुँह पर......समंदर की बात
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मेरे घर के दरवाजे
मेरे घर के दरवाजे
Minal Aggarwal
खुद से ही खुद को छलते हैं
खुद से ही खुद को छलते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
हे छंद महालय के स्वामी, हम पर कृपा करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बड़ा रोग
बड़ा रोग
Sudhir srivastava
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
VINOD CHAUHAN
*होली*
*होली*
Dr. Priya Gupta
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
"प्यार तुमसे करते हैं "
Pushpraj Anant
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
Sarla Mehta
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
दोहा पंचक. . . .
दोहा पंचक. . . .
sushil sarna
..
..
*प्रणय*
2828. *पूर्णिका*
2828. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*सूरज ने क्या पता कहॉ पर, सारी रात बिताई (हिंदी गजल)*
*सूरज ने क्या पता कहॉ पर, सारी रात बिताई (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दुआए
दुआए
Shutisha Rajput
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Chitra Bisht
Loading...