Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2024 · 1 min read

चक्की

रोज सुबह आटा पीस कर खिलाने वाली,
दाल दलने से लेकर चने को बेसन बनाने वाली।
वो चक्की आज बडी उदास है क्यूंकि नहीं पीसता अब कोई सुबह सुबह आटा।
नही घुमाया जाता न ही हिलाया जाता अब किसी के द्वारा सुबह सुबह उसका पाटा।
बदलते समय के साथ साथ अब उसकी जरूरत बहुत अधूरी हो गई है।
ऐसा लगता है घर के एक कोने में पड़ी अब वो चक्की बहुत बूढ़ी हो गई है।
आ गईं है उसकी नई मॉर्डन पीढ़ियां मशीनों में लग कर बढ़ गई है जिनकी कीमत,
हाथ की चक्की से विकसित होकर मानो वो बहुत आगे बढ़ गई है पढ़ लिखकर।
अब इस हाथ से चलाए जाने वाली की कहानी थोडी छोटी और अधूरी हो गई है।
ऐसा लगता है घर के कोने में पड़ी वो चक्की अब बहुत बूढ़ी हो गई है।
अब शायद उसके दुनियां से जाने की तैयारी है क्योंकि नई पीढ़ी भी बदलने वाली है।
सब व्यस्त हो रहे है भाग दौड़ में समय नही अब चक्की को समय देने का।
कोने में रखी अब बेकार सी लगती है कोई मतलब नहीं अब घर में इसके होने का ।
पर पूर्वजों की तरह वो कई एक यादों से और पूजा में आज भी जुड़ी है,
किसी रोज फिर काम आयेगी उम्मीदों में किसी उम्मीद से वो आज भी बंधी है।
वो पुरानी दो पाटों बाली भारी सी चक्की पुराने से कोने मे आज भी रखी है।

स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश

105 Views

You may also like these posts

आत्म विश्लेषण
आत्म विश्लेषण
Bindesh kumar jha
बारिश!
बारिश!
Pradeep Shoree
कहानी, बबीता की ।
कहानी, बबीता की ।
Rakesh Bahanwal
फिल्मी गानों से छंद
फिल्मी गानों से छंद
आचार्य ओम नीरव
प्रकाश का पर्व
प्रकाश का पर्व
Ruchi Dubey
*खुद पर थोड़ी दया कर*
*खुद पर थोड़ी दया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"रहबर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी माँ
मेरी माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
Shweta Soni
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रिश्ते
रिश्ते
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2895.*पूर्णिका*
2895.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू खुद को मेरे नाम कर
तू खुद को मेरे नाम कर
Jyoti Roshni
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जनहरण घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
Rambali Mishra
अधरों ने की  दिल्लगी, अधरों  से  कल  रात ।
अधरों ने की दिल्लगी, अधरों से कल रात ।
sushil sarna
शादीशुदा🤵👇
शादीशुदा🤵👇
डॉ० रोहित कौशिक
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
15. *नाम बदला- जिंदगी बदली*
15. *नाम बदला- जिंदगी बदली*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कभी कभी कहना अच्छा होता है
कभी कभी कहना अच्छा होता है
Rekha Drolia
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
चला मुरारी हीरो बनने ....
चला मुरारी हीरो बनने ....
Abasaheb Sarjerao Mhaske
बुढापा
बुढापा
Ragini Kumari
सत री संगत
सत री संगत
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Red Hot Line
Red Hot Line
Poonam Matia
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Santosh Soni
*झंडा (बाल कविता)*
*झंडा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
इंसानों के अंदर हर पल प्रतिस्पर्धा,स्वार्थ,लालच,वासना,धन,लोभ
इंसानों के अंदर हर पल प्रतिस्पर्धा,स्वार्थ,लालच,वासना,धन,लोभ
Rj Anand Prajapati
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
पूर्वार्थ
Loading...