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30 Mar 2025 · 1 min read

आर्य समाज की ज्योति

आर्य समाज अमर रहे
गर्व से तुम यह कहो।
पर अमर रखने के लिए
उचित कर्तव्य पथ गहो।
सड़क पर शहरों की
गौवंश है भटक रहा।
पॉलिथीन जहरीला कचरा
गले में है अटक रहा।
कैसे गौ की रक्षा हो
इस पर विचार करो।
विचार कर्म में परिणित हो
वह कर्तव्य- पथ गहो।
नारी का सम्मान हो
वेदों में यह कहा गया।
प्रथम पूजनीय बता
स्तुति स्तोत्र रचा गया।
मगर समाज में आज भी
नहीं बच रही है लाज भी।
कुटिल आततायी पशु बन
कर रहे हैं कुत्सित काज भी।
दुष्ट ख़लकामी लोग
गालियाॅं देते स्त्री के नाम से।
कलेजा करते हैं छलनी
अभद्रता के कटु जाम से।
पिटे नहीं वह लुटे नहीं
अस्मिता उसकी अक्षुण्ण रहे।
जीवन की मंगल धरा पर
निर्मल धारा -सी वह बहे।
उसके शब्दों को साज दो
उसके मौन को आवाज दो।
कहो मत करके दिखाओ
उसको हृदय का राज दो।
स्वामी जी की शिक्षाओं का
हम सब न सिर्फ गान करें।
गर उतार लें जीवन में उन्हें
हम इस मृत्यु लोक से तरें।
आर्य समाज के स्थापना दिवस पर
करती हूॅं आह्वान मैं।
हम कोई सद् संकल्प करें
करें फिर उसका निर्वाह भी।
तो आर्य समाज की ज्योति
इस धरा पर जलती रहेगी।
सूरज चंद्र साक्षी रहेंगे,
अमरबेल -सी फलती रहेगी।
अपने संकल्पों पर रह अटल
मानवता का सम्मान करें।
तभी प्राणी मात्र का कल्याण होगा
आर्य समाज का फिर जय गान होगा।

प्रतिभा आर्य
37, चेतन एनक्लेव
फेज-2 जयपुर रोड (अलवर)
राजस्थान

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