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4 Feb 2024 · 1 min read

परिंदा

खुश किस्मत आजाद परिंदा
बेघर पर आबाद परिंदा
आसमान में उड़ने वाला
सबको आता याद परिंदा
पिंजरे में कोई कैद ना करना
करता है फरियाद परिंदा
भोर का तारा ज्यों ही निकले
कहता है सुप्रभात परिंदा
दिन भर इधर-उधर उड़कर यूॅ॑
करता है मुलाकात परिंदा
सांझ ढ़ले तब नीड़ में आकर
इठलाता सबके साथ परिंदा
फुदक-फुदक कर दाना चुगता
नहीं देखता स्वाद परिंदा
कल की फ़िक्र न आज की चिंता
नहीं रखता जज्बात परिंदा
हरे पेड़ पर वह बना घोंसला
करता है उन्माद परिंदा
पेड़ लगाओ सब पेड़ बचाओ
कहता ‘V9द’ आज परिंदा

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