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1 Feb 2024 · 1 min read

इक चमन छोड़ आये वतन के लिए

सावन के झूले
रिमझिम फुहारें
जुल्फों की बदली
झिलमिल सितारे

फूलों की रगंत
महके से नजारे
भीगे से जज्बात
मचलती बहारें

आँखों के सागर
होंठों के प्याले
पायल की रुनझुन
कंगन के इशारे

इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
इक कली तोड़ आये वतन के लिए
लाखों जन्नत हैं कुर्बां वतन के लिए
जाँ जिगर सब है कुर्बां वतन के लिए
स्वरचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
131 Views
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
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