Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2024 · 1 min read

शायरी – ग़ज़ल – संदीप ठाकुर

इश्क़-विश्क़ की डिग्री-विग्री थ्योरी व्योरी सब
पढ़ डाले हैं लैला-मजनू चाँद-चकोरी सब

रूठा था मै बहुत दिनों से मान गया लेकिन
कान पकड़ कर जब वो बोली सोरी-वोरी सब

कब लौटोगी पूछ रहे हैं आज रसोई से
चूल्हा-वूल्हा मिक्सी-विक्सी थाल-कटोरी सब

मटकी-वटकी दरिया-वरिया राह तकें कब तक
बूढ़े हो गए पनघट-वनघट गोरी-वोरी सब

इश्क़ जंग है और जंग में जायज़ है सब कुछ
धोका-वोका मान मुनव्वल जोरा-जोरी सब

संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur

432 Views

You may also like these posts

बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
यूं तो हमेशा से ही
यूं तो हमेशा से ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
manjula chauhan
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
सपने
सपने
अशोक कुमार ढोरिया
अंतहीन पीड़ा से
अंतहीन पीड़ा से
लक्ष्मी सिंह
आवश्यक मतदान है
आवश्यक मतदान है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
फ़रेब
फ़रेब
Sakhi
राम का चिंतन
राम का चिंतन
Shashi Mahajan
हो जाती है रात
हो जाती है रात
sushil sarna
ठीक हुआ जो बिक गए सैनिक मुट्ठी भर दीनारों में
ठीक हुआ जो बिक गए सैनिक मुट्ठी भर दीनारों में
पूर्वार्थ
3 *शख्सियत*
3 *शख्सियत*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कुछ  गीत  लिखें  कविताई  करें।
कुछ गीत लिखें कविताई करें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कहाँ -कहाँ दीप जलाएँ
कहाँ -कहाँ दीप जलाएँ
Meera Thakur
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
धुन
धुन
Ragini Kumari
4318.💐 *पूर्णिका* 💐
4318.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
टूटा सागर का अहंकार
टूटा सागर का अहंकार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सब कुछ बदल गया,
सब कुछ बदल गया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
प्रभु राम नाम का अवलंब
प्रभु राम नाम का अवलंब
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"ये जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जाल हऽ दुनिया
जाल हऽ दुनिया
आकाश महेशपुरी
मैं दीपक बनकर जलता हूं
मैं दीपक बनकर जलता हूं
Manoj Shrivastava
■ हास्यमय समूह गीत
■ हास्यमय समूह गीत
*प्रणय*
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
Sonam Puneet Dubey
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
छठ पर्व
छठ पर्व
जगदीश शर्मा सहज
Loading...