Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

औरत बुद्ध नहीं हो सकती

औरत बुद्ध नहीं हो सकती।
क्योंकि उसमें हौंसला नहीं होता,
सो रहे पुत्र को छोड़कर जाने का।
या फिर समाज की रवायतों के
विरुद्ध जाने का।
दहलीज़ से बाहर पैर रखते ही वो
चरित्र हीन हो जाती है
चाहे उसको ज्ञान की प्राप्ति हो भी जाए
तो भी उसे बुद्ध नहीं माना जायेगा।

औरत कृष्ण भी नहीं हो सकती
क्योंकि बहुत से मर्दों के संग
रास नहीं रचा सकती।
वो बेगैरत,बदचलन ही मानी जायेगी
चाहे वो कितनी ही द्रोपदियों को
चीर हरण से बचा ले
वो कृष्ण नहीं हो सकती

औरत सीता भी नहीं हो सकती
जो बार बार परीक्षा दे
अपने पवित्र होने की
और अंत में भगवान के हाथों
दुखी हो
समा जाये धरती की आगोश में
क्योंकि समाज आज भी
औरत की पवित्रता को लेकर
चिंतित हैं।
न कि औरत की सुरक्षा को लेकर।
इसलिए वो सीता भी नहीं हो सकती

हां
वो मां ,बेटी बहू पत्नी
सब-कुछ हो सकती है
बस वो
संत नही
भगवान नहीं
सुरक्षित नहीं

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

बैठा दिल जिस नाव पर,
बैठा दिल जिस नाव पर,
sushil sarna
खोकर अपनों को यह जाना।
खोकर अपनों को यह जाना।
लक्ष्मी सिंह
मुझसे बेज़ार ना करो खुद को
मुझसे बेज़ार ना करो खुद को
Shweta Soni
"पड़ाव"
Dr. Kishan tandon kranti
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
DrLakshman Jha Parimal
Togetherness
Togetherness
Dr Archana Gupta
गुजरी जो बीती गलियों से
गुजरी जो बीती गलियों से
Chitra Bisht
औरत.....?
औरत.....?
Awadhesh Kumar Singh
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अखिला कुमुदिनी
अखिला कुमुदिनी
संतोष सोनी 'तोषी'
24/229. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/229. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आशा!
आशा!
Rashmi Sanjay
😊प्रभात-संदेश😊
😊प्रभात-संदेश😊
*प्रणय प्रभात*
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
नशे की लत
नशे की लत
Kanchan verma
वहाॅं कभी मत जाईये
वहाॅं कभी मत जाईये
Paras Nath Jha
जिंदगी ने एक बात बहुत अच्छी तरह सिखा दी है
जिंदगी ने एक बात बहुत अच्छी तरह सिखा दी है
Ishwar
ईश्वर
ईश्वर
Shyam Sundar Subramanian
काश की रात रात ही रह जाए
काश की रात रात ही रह जाए
अश्विनी (विप्र)
विजय बिजनौरी
विजय बिजनौरी
विजय कुमार अग्रवाल
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (हास्य कुंडलिया)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
कब बरसोगे बदरा
कब बरसोगे बदरा
Slok maurya "umang"
बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
Abhishek Soni
“सच्चे रिश्ते की नींव, विश्वास और समझ”
“सच्चे रिश्ते की नींव, विश्वास और समझ”
Nikku Kumari
"" मामेकं शरणं व्रज ""
सुनीलानंद महंत
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
SURYA PRAKASH SHARMA
किस क़दर तन्हा थी
किस क़दर तन्हा थी
हिमांशु Kulshrestha
अमृतध्वनि छंद
अमृतध्वनि छंद
Rambali Mishra
निशब्द
निशब्द
Nitin Kulkarni
Loading...