Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2024 · 1 min read

नववर्ष में

नववर्ष में
दिशाओं में किरणें ही फैले
न कि अंधेरे छितराऍं।
संध्या का रूपहला यौवन
अभिशाप नहीं बन पाए।
नववर्ष में
जर्जर न हो सभ्यता
चरण हरगिज न डगमगाए।
आहत न हो मानवता
ऐसा स्नेह दीप जलाएं।
नववर्ष में
धुंधलकों से मानव
मुक्त हो जाए।
खत्म हो गहन तिमिर
रोशनी नाचे उजाले गाऍं।
नववर्ष में
शक्ति की फिर न लें
राम अग्नि परीक्षाऍं।
कोई धर्मराज
दाव पर द्रुपदा को न लगाएँ।
नववर्ष में
हमारी मातृशक्ति
भय से न छटपटाऍं।
उसकी अस्मत पर
ऑंच न आने पाए।
नववर्ष में
हम सुख-दुख के साथी
इस कदर बन जाएं,
यदि दुख हो तुमको
आसूं मेरी आँखों से आए।
नववर्ष में
उजालों का कारवाॅं ले
हम आगे बढ़ते जाएं।
नव संकल्पों से
नव प्रगति के सूर्य उगाऍं।

—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव,
अलवर(राजस्थान)

Language: Hindi
1 Like · 479 Views
Books from PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
View all

You may also like these posts

आनंद बरसे सर्वदा
आनंद बरसे सर्वदा
indu parashar
Happy New Year
Happy New Year
Deep Shikha
- रिश्ते इतने स्वार्थी क्यों हो गए -
- रिश्ते इतने स्वार्थी क्यों हो गए -
bharat gehlot
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
ख्वाबो में मेरे इस तरह आया न करो
Ram Krishan Rastogi
हसरतें
हसरतें
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
रिश्तों में दूरी
रिश्तों में दूरी
Rekha khichi
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
जो बातें कही नहीं जातीं , बो बातें कहीं नहीं जातीं।
जो बातें कही नहीं जातीं , बो बातें कहीं नहीं जातीं।
Kuldeep mishra (KD)
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझ पर करो मेहरबानी
मुझ पर करो मेहरबानी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
सलीके से हवा बहती अगर
सलीके से हवा बहती अगर
Nitu Sah
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
Rj Anand Prajapati
प्रकृति सुर और संगीत
प्रकृति सुर और संगीत
Ritu Asooja
क्या गुनाह है लड़की होना??
क्या गुनाह है लड़की होना??
Radha Bablu mishra
खुद को समझ सको तो बस है।
खुद को समझ सको तो बस है।
Kumar Kalhans
आग यदि चूल्हे में जलती है तो खाना बनाती है और चूल्हे से उतर
आग यदि चूल्हे में जलती है तो खाना बनाती है और चूल्हे से उतर
Durgesh Bhatt
*देश के  नेता खूठ  बोलते  फिर क्यों अपने लगते हैँ*
*देश के नेता खूठ बोलते फिर क्यों अपने लगते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
Manju Singh
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
रुपेश कुमार
* एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता *
* एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता *
भूरचन्द जयपाल
ममता का सच
ममता का सच
Rambali Mishra
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
ग़ज़ल 3
ग़ज़ल 3
Deepesh Dwivedi
कुछ लोग चांद पर दाग लगाते हैं,
कुछ लोग चांद पर दाग लगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"दोचार-आठ दिन की छुट्टी पर गांव आए थे ll
पूर्वार्थ
3564.💐 *पूर्णिका* 💐
3564.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कुछ बड़ा करने का वक़्त आ गया है...
कुछ बड़ा करने का वक़्त आ गया है...
Ajit Kumar "Karn"
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
Manoj Mahato
Loading...