*झूठ से लाभ*

झूठ से लाभ
बात उस समय की है, जब हमारे गांँव में भगौना प्रधान का राज था। वह बहुत भले आदमी थे और उस समय सभी लोग शाम को चौपाल में बैठकर किसी भी विषय पर बात किया करते थे। सभी मसले घर पर ही सुलझा लेते थे। पुलिस कभी भी गांँव में नहीं आती थी। सभी लोग आपस में मिलजुल कर रहा करते थे। इससे उनकी एकता और भाईचारे की भावनाओं का पता चलता था। गांँव में सभी बिरादरी के लोग एक साथ बैठकर हुक्का पिया करते थे। पर उन लोगों के दिल दर्पण की तरह बिल्कुल साफ और इर्ष्या से कोसों दूर थे। शादी विवाह में लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते थे और एक दूसरे की सहायता निस्वार्थ भाव से किया करते थे। उस समय जब लोग शाम को चौपाल पर बैठते थे तो उनमें से बुजुर्ग लोग अपने अनुभवों से, प्राचीन राजा- महाराजाओं से और परियों स आदि से संबंधित कहानियां सुनाकर मनोरंजन किया करते थे। गांँव में एक नाई भी रहता था। वह भी रोज कहानी सुनने चौपाल पर आता रहता था और तरह-तरह की बातें विभिन्न विषयों पर किया करता था। इस गांँव में एक अत्यधिक निर्धन किसान रहता था। वह इतना निर्धन था, कि उसके पास रहने की झोपड़ी के ऊपर ठीक से छप्पर नही था। जब परिवार रात को सोता था तो सभी को हमेशा बारिश की चिंता रहती थी, कि कहीं बारिश न आ जाए, बारिश होने पर वह पूरी रात ठंड से ठिठुरते और बुरी तरह भीग जाते। इतना होते हुए भी वह किसान बहुत मेहनती था और हर समय हर कार्य को करने के लिए तैयार रहता था। वह किसी भी कार्य से घबराता नहीं था। उस निर्धन किसान के पास एक बेटा भी था, जो अब जवान हो गया था। वह हर व्यक्ति से कहता है, कि कोई उसके बेटे की शादी करा दे। मगर वह इतना गरीब था, कि कोई भी उस पर ध्यान नहीं देता था। सभी लोग उस पर उंगली उठाते कि तेरा बेटा जवान हो गया है। अब इसकी शादी क्यों नहीं करता है। लेकिन कब्र का हाल तो सिर्फ मुर्दा ही जानता है। वह किसान करता भी क्या? कोई उसकी आर्थिक दयनीय स्थिति देखकर शादी के लिए हांँ नहीं करता था। अब तो धीरे-धीरे बेटे की उम्र भी बढ़ने लगी और किसान को चिंता सताने लगी। वह लाख कोशिश करता मगर सब बेकार। हर व्यक्ति उससे मुंँह मोड़ चुका था और उसका चौपाल में उठना- बैठना भी कम हो गया था। वह रात को सोते समय भगवान से प्रार्थना करता था, कि हे! भगवान ऐसे जीवन से तो मरना ही भला है। अब तो उसका घर से निकलना भी दुश्वार हो गया था।
एक दिन की बात है, वह हिम्मत करके उस चौपाल पर बैठने के लिए चला गया। वहांँ उपस्थित लोगों में से किसी ने भी उससे बात नहीं की शिवा वहाँ उपस्थित एक नाई के। उसने अन्य उपस्थित लोगों को हाथ जोड़कर दुआ- सलाम किया। उस किसान ने नाई से बहुत ही विनम्र तरह से अनुनय-विनय किया कि वह उसके पुत्र की किसी लड़की से शादी करवा दें। जब नाई ने उसकी कहानी और दयनीय स्थिति के बारे में सुना तो नाई को उस किसान पर दया आ गई। उसने उस किसान को विश्वास दिलाया, कि वह उसके पुत्र की शादी जरूर कराएगा और उसने उस किसान से कुछ दिन का समय मांगा। तब किसान ने कहा ठीक है। नाई की बात सुनकर किसान के जी में जी आया।
नाई हर दिन की तरह दुकान पर बाल काटने के लिए गया जैसे कि आप जानते हो कि नाई के यहांँ तरह-तरह के अमीर गरीब लोग बाल कटवाने के लिए आते- जाते रहते हैं। एक दिन की बात है एक बहुत अमीर व्यक्ति आया जिसके पास एक बहुत सुंदर पढ़ी-लिखी लड़की थी। वह काफी दिनों से किसी अच्छे लड़के की तलाश में था। लेकिन कोई लड़का मिल नहीं रहा था। लड़की के चार भाई थे, चारों सरकारी नौकरी पर थे और पिता भी एक अधिकारी था। उधर किसान के पास अच्छी सेहत वाला लड़का था जो अत्यधिक गरीबी के कारण आठवीं भी पास नहीं कर पाया था, परंतु वह लड़का देखने में सुंदर लगता था। अगर उसे कोई अच्छे कपड़े पहना देता तो वह वास्तव में ऐसा लगता जैसे वह खूब पढ़ा लिखा हो।
सौभाग्य की बात है, वह अमीर व्यक्ति नाई से बाल कटवाते हुए पूछने लगा, कि -“मास्टर साहब यारों काफी दिन हो गए। मगर कोई लड़की के लिए सुयोग्य सुंदर और पढ़ा लिखा लड़का नहीं मिला।” नाई ने पहले ही किसान से वादा किया था, कि वह उसके लड़के की शादी कराएगा और वह ऐसे मौके की ही प्रतीक्षा कर रहा था। वास्तव में नाई बहुत चालाक था और वैसे भी कहा गया है, कि आदमियों में नऊआ और पक्षियों में कौवा बड़े ही हरामखोर होते हैं।नाई ने तुरन्त अमीर आदमी से बताया, कि एक लड़का है जो सुंदर भी है पढ़ा लिखा भी है और सरकारी स्कूल में मास्टर है। यह बात सुनकर अमीर आदमी बोला तो दिखाओ, कहां है वह लड़का, ऐसे लड़के की तो तलाश ही है हमें। मैंने बताया कि आप आने वाले सोमवार को लड़के को देखने के लिए आ जाओ। अमीर आदमी ने ठीक है कहते हुए उस नाई से विदा ली और वह मन ही मन प्रसन्न हुआ और उसने यह बात अपने चारों पुत्रों को बताई, जो अपनी इकलौती बहन के लिए काफी दिनों से सुंदर और शिक्षित लड़के की तलाश में थे। अब वह भी पिता की बात से सहमत हो गए, कि वह आने वाले सोमवार को लड़के को पिता जी के साथ देखने जाएंगे। उधर किसान के बेटा को, यह तो बता ही दिया था कि वह खूब पढ़ा लिखा है और सरकारी स्कूल इंटर कॉलेज में मास्टर है। लेकिन वास्तव में वह आठवीं भी पास नहीं था। नाई ने सभी गांव वालों को समझाया कि मैं उस गरीब किसान के लड़के की शादी अमीर आदमी से करा रहा हूंँ, आप सभी ग्रामवासी कृपा करके उसकी शादी हो जाने दीजिए, क्योंकि मैंने उस किसान के लड़के को इंटर कॉलेज का मास्टर बताया है। सभी गांँव वालों ने एक साथ कहा, कि यह बात हम किसी को भी नहीं बताएंगे, कि लड़का पढ़ा लिखा है या नही और मास्टर नहीं है और घर के बारे में भी नहीं बताएंगे। नाई ने लड़के और उसके पिता को सारी बात बताई और लड़के को समझाया, कि वह सोमवार के दिन गांँव के ही सरकारी इंटर कॉलेज में जाकर अच्छे कपड़े पहनकर और चश्मा लगाकर और जूते पहनकर कुर्सी पर ऐसे बैठ जाए जैसे वह वास्तव में सरकारी मास्टर हो। उधर नाई ने कॉलेज के सारे मास्टरों से और जिसका अच्छा घर था उससे सोमवार के दिन की व्यवस्था की पूरी जानकारी दी और समझाया, कि इस शादी में जो राज है वह राज ही रहे। वे सब लोग राजी हो गए। अब सब कुछ तैयार था। क्योंकि लड़के से उस नाई ने कहा कि जब भी मेहमान आपको देखने के लिए आए, तो आप कुर्सी से खड़े होकर गुड मॉर्निंग हाथ जोड़कर बोलोगे और कहोगे कि आईये साहब बैठिए। उधर उस घर वाले से भी नाई ने कह दिया था कि मेहमान तुम्हारे ही घर रूकेंगे और तुम्हारे घर को ही लड़के का घर बताएंगे। मकान वाला मालिक राजी हो गया।
सोमवार का दिन भी आ गया लगभग 9:00 बजे सुबह को सभी ग्राम वासियों से हाथ जोड़कर उस किसान और नाई ने प्रार्थना की, कि वे सब लोग ये बात लड़की वालों से नहीं बताएं। लड़का चश्मा लगाकर अच्छे कपड़े कोट पैंट शर्ट पहनकर और जूते पहनकर इंटर कॉलेज में जा बैठा और सभी ठहरने और खाने पीने की तैयारीयां किसी अन्य के घर पर की गई, जो किसी दूसरे का था। तभी थोड़ी ही देर में लगभग सुबह के 9:30 बजे थे। एक स्कॉर्पियो गाड़ी आती है। इसमे 6-7 व्यक्ति बैठे हुए थे। वे सब लोग उस नाई का पता पूछते हुए उसके घर पहुंचे। नाई ने स्वागत किया। लड़की के पिता ने कहा, हमें कहीं जाना है आप लड़का दिखाइए। नाई बोला, जरूर पर पहले नाश्ता पानी कर लीजिए। वे सब लोग बोले नहीं, जब हमें लड़का पसंद होगा हम तभी नाश्ता करेंगे। नाई कहता है, ठीक है। वह स्कूल में ही गाड़ी से उन लोगों को लड़का के पास ले जाता है, जैसे ही लड़के ने उन लोगों को देखा, वह कुर्सी से खड़े होकर हाथ जोड़कर गुड मॉर्निंग कहता है और सभी से कहता है, कि आईये साहब बैठिए। लड़का उस समय वास्तव में ऐसा लग रहा था मानो वह वास्तव में ही टीचर हो और बहुत सुंदर भी लग रहा था।लड़की वाले और लड़की के भाइयों ने लड़के को पसंद कर लिया और बोले जी लड़का हमें पसंद है। अब आप हमें इनकी जमीन और घर को दिखाइए। नाई उन्हें वहां ले गया जहां खाना बनाया जा रहा था और उनके रुकने की व्यवस्था थी। वह बहुत सुंदर घर बना हुआ था। नाई ने बताया, कि यह लड़के का घर है वह बोले जी बहुत अच्छा। फिर बोले जमीन दिखाओ नाई ने कहा सब गाड़ी में बैठकर चलो मैं आपको लड़के की जमीन दिखाता हूं। वह सब गाड़ी में बैठ गए और गांव से निकलते ही नाई जो बिचौलिया था, उसने बताना शुरू किया कि यह गन्ने का खेत लड़के का है, यह मक्का वाला खेत भी उन्हीं का है, मटर का आलू का, पट्ट पड़ा हुआ और पिंपलमेंट आदि सभी खेत लड़के के हैं। जब लगभग गाड़ी एक दो किलोमीटर चलती रही तब जाकर नाई ने कहा जी गांव से शुरू होकर लड़के की जमीन यहां तक है। यह देखकर की जमीन तो बहुत है लड़की वाले बड़े खुश हुए और उन्होंने लग्न का दिन पूछा की लगन कब ले आयें। क्योंकि उन्हें लड़की की शादी जल्दी से जल्दी करनी थी। लगन का फला दिन बता दिया और सभी ने लड़के के हाथ में एक लाख ₹10 हाथ में देकर विदा ली।
अब नाई सोचने लगा, कि अब तक तो सब ठीक हो गया। अब क्या होगा लेकिन नाई ने हिम्मत नहीं हारी उसने लड़के के पिता से कहा, कि आप दो गाड़ी पत्ता लाकर इस झोपड़ी से सामान निकाल कर आग लगा दो और हम लड़की वाले से कह देंगे, कि लगन और शादी थोड़ी लेट हो जायेगी क्योंकि लड़के के घर में बिजली से आग लग गई है और 50 लख रुपए की रकम जल कर राख हो गई है। नाई ने जो बताया, लड़के वाले ने ऐसा ही किया। अब नाई ने लड़की वाले पर संदेश भेजा कि लड़के के घर में बिजली से आग लग जाने के कारण काफ़ी जान माल का नाश हो गया है इसलिए वे शादी घर को सुधरवा कर लगभग एक वर्ष के बाद करेंगे। लड़की वाले ने जब यह सुना तो वह बहुत निराश हुए, क्योंकि उन्हें शादी लगभग 1 महीने के अंदर ही करनी थी। उसने बिना लड़के वालों की राय लिए 5 लाख ईंटें, 10 लाख टन सीमेंट और बजरी बदरपुर आदि सामान भेज दिया। नाई और लड़के वाले यही चाहते थे और उन्होंने बहुत जल्दी एक शानदार और भाव्य घर का निर्माण कर लिया और संदेश के द्वारा उलाहना उतारने के लिए यह कहा, कि लड़के वाले इतने गरीब नहीं जो आपने सामान भेज कर उनका अपमान किया है। लड़की वाले ने शर्मिंदगी महसूस की, खैर कोई बात नहीं लगन का दिन भी समय पर आ गया और लड़के की लगन में स्कॉर्पियो गाड़ी मिली 10 लाख नगद और सब टोटल सामान। सभी गांव वाले यह देखकर कानों पर हाथ रख रहे थे, कि जिसके पास रहने के लिए कुछ नहीं था आज इसका कैसा नसीब जागा है। अजी जैसे- तैसे करके शादी का दिन आ गया और बड़ी ही धूमधाम से शादी हो गई। बारात ऐसी चढ़ी जैसे किसी राजा की चढ़ती हो। सभी ने खूब मौज मस्ती की और लड़के ने भी दो-तीन वर्षों तक जीवन एशो-आराम में काटा। समय गुजरता गया एक दिन की बात है, कि लड़के की पत्नी कहने लगी जी मुझे आज खेत देखने का जी कर रहा है। खेत दिखाओ, पहले तो लड़के ने पत्नी को टाला, लेकिन वह जब बार-बार कहने लगी तो लड़के ने गाली देकर कहा, कि हम तो टट्टी (लैट्रिन) भी किसी दूसरे के खेत में करने जाते हैं। यह सुनकर पत्नी के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई, कि तूने मेरे पिताजी से झूठ बोला है, कि हमारे पास इतनी जमीन है। लड़के ने कहा कि मैंने तुम्हारे पिता से झूठ नहीं बोला।वह इस बात से नाराज होकर अपने मायके जाकर पिताजी से लिपटकर रोने- चिल्लाने लगी और कहने लगी कि तुमने मेरा नसीब छोड़ दिया। पिताजी ने जब सारी बात पूछी तो लड़की ने सब कुछ पिता को बता दिया। पिताजी ने सोचा कि अगर यह और शोर मचाएगी तो बेज्जती और बदनामी अपनी ही होगी। उसने तुरंत लड़के को फोन करके बुलाया और वह गाड़ी लेकर ससुराल पहुंचा तो गाड़ी से उतरकर गुड मॉर्निंग बोला। ससुर साहब ने कहा गुड मॉर्निंग गया भाड़ में। यह बताओ कि आपने झूठ क्यों बोला। वह बोला मैंने तो झूठ नहीं बोला। ससुर ने सोचा अगर बात बढ़ेगी तो बेइज्जती हमारी ही होगी। उसने दामाद से पूछा कि आपके यहां कोई 40-50 बीघा जमीन तो नहीं बिक रही है। उसने तुरंत कहा कि 40 बीघे का बाग है जो बिक रहा है। ससुर ने तुरंत दामाद और लड़के को भेजकर उसे बाग का बैनामा कराया। इस प्रकार गरीब का घर भी बन गया शादी भी अच्छी हो गई और जमीन भी मिल गई। नही था झूठा से लाभ।