Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 1 min read

फ़िरक़ापरस्ती!

फ़िरक़ापरस्ती के जाल बुनते फिरते हैं
फ़िरक़ों में बँटे नफ़रतें उगलते फिरते हैं!
कोई कम नहीं सभी तो बलवाई हैं यहाँ
उँगलियाँ दूसरों पर सब उठाते फिरते हैं!
हर तरफ़ ही तशद्दुद के पैरोकार भरे पड़े
मगर इलज़ाम दूसरों सर धरते फिरते हैं!
मुलज़िम खुद को मज़लूम बताकर यहाँ
कैसे इंसानियत की हामी भरते फिरते हैं!
मुक़द्दस बातों की ग़लत तफ़्सीर करते हैं
बेइल्म इल्म की बेअदबी करते फिरते हैं!
दावा करें वो खरे रहे ईमान के पैमाने पर
बेईमान औरों के ईमान जाँचते फिरते हैं!
इस तरद्दुद में बे-एतिबारी का आलम है
फ़िरक़ों में बंटे लोग दंगाई बने फिरते हैं!

Language: Hindi
110 Views
Books from Pradeep Shoree
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय*
सड़क
सड़क
Roopali Sharma
3286.*पूर्णिका*
3286.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी
जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी
Dr Archana Gupta
- संकल्पो की सौरभ बनी रहे -
- संकल्पो की सौरभ बनी रहे -
bharat gehlot
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
जगदीश शर्मा सहज
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
Taj Mohammad
आंसुओं की तौहीन कर गया
आंसुओं की तौहीन कर गया
Mahesh Tiwari 'Ayan'
समाप्त हो गई परीक्षा
समाप्त हो गई परीक्षा
Vansh Agarwal
सत्य कथन
सत्य कथन
Rambali Mishra
क्या इंतज़ार रहता है तुझे मेरा
क्या इंतज़ार रहता है तुझे मेरा
Ajit Kumar "Karn"
वक्त
वक्त
पूर्वार्थ
"लाठी"
Dr. Kishan tandon kranti
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
जेब खाली हो गई तो सारे रिश्ते नातों ने मुंह मोड़ लिया।
जेब खाली हो गई तो सारे रिश्ते नातों ने मुंह मोड़ लिया।
Rj Anand Prajapati
आके चाहे चले जाते, पर आ जाते बरसात में।
आके चाहे चले जाते, पर आ जाते बरसात में।
सत्य कुमार प्रेमी
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
Manisha Manjari
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ससुराल में साली का
ससुराल में साली का
Rituraj shivem verma
जिसके लिए कसीदे गढ़ें
जिसके लिए कसीदे गढ़ें
DrLakshman Jha Parimal
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है*
*मां तुम्हारे चरणों में जन्नत है*
Krishna Manshi
मध्यम मार्ग
मध्यम मार्ग
अंकित आजाद गुप्ता
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
Phool gufran
दिखाने लगे
दिखाने लगे
surenderpal vaidya
"प्रयास"
Rati Raj
रविवार की छुट्टी
रविवार की छुट्टी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नेम प्रेम का कर ले बंधु
नेम प्रेम का कर ले बंधु
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
Loading...