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24 Jan 2024 · 1 min read

क्या शर्म

सर – ब – सर फाका करे क्या शर्म
चौकीदार फ़क़त वादा करे क्या शर्म

नेता लगे पड़े नोट कुर्सी इंहिज़ामी में
भूख नादारी बदन डाका करे क्या शर्म

रू – ब – रू उड़े चीथड़े अज़्मत ए दस्तार
फिर भी जौर-पशेमाँ पताका करे क्या शर्म

वो जो थकते नहीं थूकने से हर रिवायत पर
वही पैसे पे हदीस-ए-ख़ुराफ़ा करे क्या शर्म

जिसके मुहब्बत में खर्च कर आया उम्र कुनु
उसके बच्चे राह में मामा मामा करे क्या शर्म

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