बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
*तू नहीं , तो थी तेरी याद सही*
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
बदलता बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ