अपनेपन का अहसास

अपनेपन का अहसास
ज़िन्दगी की साँसें न जाने
किस पल थमकर रह जाए
मुस्कुराहटें न जाने कब
ग़म में बदल जाए हो।
हँसते मुस्कुराते सफ़र तय कीजिए
शिकवे शिकायतों की गठरी
बाँध कर कहीं दूर फैंक दीजिए
जिंदगी में बस खुशियाँ समेट लीजिए।
तेरा मेरा इसका उसका
इन सब बातों से परहेज कीजिए
धूल की तरह उड़ रही है ख्वाहिशे
अपनों को अपनेपन से अपना लीजिए।।
कल कल बनकर रह जाएगा
चेहरा आँखों से धुँधला जाएगा
शरीर राख बनकर मिट्टी में मिल जाएगा
वक्त रहते अपनेपन का एहसास दे दीजिए।।
हरमिंदर कौर
अमरोहा