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11 Dec 2023 · 1 min read

जीत

जीत

दलदल से सने बने तुम
पंकज सा खिल जाते हो
सागर की लहरों से तुम
जिद से जीत जाते हो

अदम्य साहस ना हो भयभीत
यही तुम्हारी जीत

उठे सुनामी पीर का
दामिनी भी लगाती कोड़े
बादल भरे आँखों में काजल
चाहे बरखा भी बरसाती ओले

तुम बनालो दुखों को मीत
यही तुम्हारी जीत

चिंता जब जलाती चिता
रूह का कदम बढ़ाते हो
जीवन की हर विपदा में
जब काँटे लहू पी जाते हों

खुशी का तुम गालो गीत
यही तुम्हारी जीत

प्रत्यक्ष निंदा की भीड़ हो
पीठ चुभे कितनों भी खंजर
आँखों में छाये भले तिमिर
सर्प डसे ऐसा हो मंजर

जग का तुम बन जाओ गीत
यही तुम्हारी जीत

सुरेश अजगल्ले”इन्द्र”
जांजगीर चांपा-खरौद

Language: Hindi
266 Views

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