Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Jun 2024 · 1 min read

बेरोजगारी का दानव

लीक पेपर हुआ हर बार हम अधिकार खो बैठे,
युवाओं का छिना संसार हम बेरोजगार हो बैठे,
कठिन है माफिया की मार हम अधिकार खो बैठे,
अनसुनी अपनी चीख पुकार हम पतवार खो बैठे।

किया अपमान मेहनत का युवाओं की अरे किसने,
जो पेपर लीक ले आया अरे बाजार में जिसने,
हुए अरमान उनके चूर जो दिन -रात जगते थे,
हुए बगान उनके दिल जो पेपर लीक रखते थे।

प्रशासन सो रहा किस ओर जगाने वाला भी सोया,
कठिन श्रम का हुआ अपमान दुःख में आप ही रोया,
नीट हो नेट हो या फिर टेट..यही कोहराम है हर बार,
सुरक्षा क्या प्रशासन की इधर आने को है तैयार??

पहन चोगा शराफत का हम ऊपर से भले कितने,
छिपाए उर में दानव को अरे हम हैं गिरे कितने ,
युवाओं का करेंगे विकास हम हर बार कहते है,
ये परिभाषा बदलनी है छात्र स्वीकार कर बैठे।

अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा “✍️✍️

Loading...