Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2023 · 1 min read

2805. *पूर्णिका*

2805. पूर्णिका
मंजिल अपनी पाओगे
22 22 22 2
मंजिल अपनी पाओगे।
गर तुम साथ निभाओगे।।
कहने को तो बहुत यहाँ ।
चल कर आगे आओगे।।
जीना मरना है आसां ।
दुनिया यूं महकाओगे।।
ऊँची रखते सोच जहाँ ।
पथ पर बढ़ते जाओगे।।
खुशियों की चाहत खेदू ।
सुंदर शान बढ़ाओगे।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
08-12-2023शुक्रवार

229 Views

You may also like these posts

गणेश वंदना
गणेश वंदना
Sushil Pandey
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
भारत भविष्य
भारत भविष्य
उमा झा
होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार
Pratibha Pandey
आलस्य का क्यों पीता जहर
आलस्य का क्यों पीता जहर
मनोज कर्ण
बच्चों का मेला
बच्चों का मेला
अरशद रसूल बदायूंनी
इतिहास ख़ुद को बार बार दोहराता है
इतिहास ख़ुद को बार बार दोहराता है
Sonam Puneet Dubey
रूबरू  रहते हो ,  हरजाई नज़र आते हो तुम ,
रूबरू रहते हो , हरजाई नज़र आते हो तुम ,
Neelofar Khan
श्री श्याम भजन
श्री श्याम भजन
Khaimsingh Saini
शोषण (ललितपद छंद)
शोषण (ललितपद छंद)
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
*दो टूक बात*
*दो टूक बात*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
Shreedhar
भिगो रहा जमकर सावन
भिगो रहा जमकर सावन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"" *प्रताप* ""
सुनीलानंद महंत
काफ़िर इश्क़
काफ़िर इश्क़
Shally Vij
I may sound relatable
I may sound relatable
Chaahat
जब-जब
जब-जब
Rambali Mishra
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मैं, तुम..
मैं, तुम..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम्हारा नंबर
तुम्हारा नंबर
अंकित आजाद गुप्ता
4709.*पूर्णिका*
4709.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आमदनी ₹27 और खर्चा ₹ 29
आमदनी ₹27 और खर्चा ₹ 29
कार्तिक नितिन शर्मा
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ सवालिया शेर।।
■ सवालिया शेर।।
*प्रणय*
"अल्फ़ाज़"
Dr. Kishan tandon kranti
दीपावली
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
किसी चीज का सहसा सामने आ जाना ही डर है।
किसी चीज का सहसा सामने आ जाना ही डर है।
Rj Anand Prajapati
बसंत
बसंत
surenderpal vaidya
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
Kanchan Alok Malu
Loading...