Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2024 · 1 min read

तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,

तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
जब रास्ते तय हो चुके थे, अपने-अपने।

सिर्फ़ हक़ीक़त पे ज़िंदगी चलती कहाँ है,
दिलो-दिमाग को चाहिए, बेक़रार सपने।

जब रास्ते बंद अबूझ हों, दिल उदास हो,
तुम्हारे बारे बुनने ‌लगता हूँ हसीन सपने।

उम्र से लंबी कई क़तारें ख़्वाहिशों की,
और पहली क़तार में, सिर्फ़ तुम्हारे सपने।

नज़दीकियों के मायने, दूर हुए रिश्तों से,
मैं हूँ, मेरी तन्हाईयां हैं और हजार सपने।

151 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all

You may also like these posts

अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Kumar Agarwal
चिंगारी के गर्भ में,
चिंगारी के गर्भ में,
sushil sarna
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
“समर्पित फेसबूक मित्रों को”
“समर्पित फेसबूक मित्रों को”
DrLakshman Jha Parimal
तुम्हे वक्त बदलना है,
तुम्हे वक्त बदलना है,
Neelam
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
औषधि की तालीम
औषधि की तालीम
RAMESH SHARMA
"गुलजार"
Dr. Kishan tandon kranti
मंदिरों की पवित्रता
मंदिरों की पवित्रता
पूर्वार्थ
राम राम जी
राम राम जी
Shutisha Rajput
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
Vijay kumar Pandey
खुद से ही प्यार करने लगी हूं
खुद से ही प्यार करने लगी हूं
Jyoti Roshni
पुरवाई
पुरवाई
Seema Garg
सच का सिपाही
सच का सिपाही
Sanjay ' शून्य'
4616.*पूर्णिका*
4616.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिखता नहीं कहीं भी गांधी, ये कैसी लाचारी है?
दिखता नहीं कहीं भी गांधी, ये कैसी लाचारी है?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चेहरे की शिकन देख कर लग रहा है तुम्हारी,,,
चेहरे की शिकन देख कर लग रहा है तुम्हारी,,,
शेखर सिंह
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
रमेशराज के दो लोकगीत –
रमेशराज के दो लोकगीत –
कवि रमेशराज
मुक्तक _ बहुत उदास है ये दिल ,,,,,
मुक्तक _ बहुत उदास है ये दिल ,,,,,
Neelofar Khan
हे मन
हे मन
goutam shaw
दिल के हर
दिल के हर
Dr fauzia Naseem shad
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"भटकाव के बाद हासिल ठहराव सुक़ून देता ही है।"
*प्रणय प्रभात*
कुछ पल अपने नाम कर
कुछ पल अपने नाम कर
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
वरूण का पंजा चक्र जैसा
वरूण का पंजा चक्र जैसा
ARVIND KUMAR GIRI
क्यों सोचते हो,
क्यों सोचते हो,
DR. RAKESH KUMAR KURRE
माटी
माटी
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
Loading...