मैं, तुम..
मैं, तुम..
मिल कर भी
उतना प्रेम पूरा नही कर सकते..
जितना प्रेम अधूरा हो कर..
भी पूर्ण होता है हमारी.. दूरियों के दरमियाँ!!
सुनो!!
प्रेम पर प्रश्नचिन्ह नही है ये..
प्रेम का एहसास कितना स्वतंत्र है..
प्रेम स्वतः है,, ये बता जाऊंगा!!
प्रेम किया नही है मैंने..
प्रेम हुआ नही है मुझे.. प्रेम हूँ मै
(रिश्ता रूह का✍️)