Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2023 · 1 min read

अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।

अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
अंतहीन सीमा रहित,गम की गहन बिसात।।
-लक्ष्मी सिंह

1 Like · 339 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

नमन तुमको है वीणापाणि
नमन तुमको है वीणापाणि
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
.....
.....
शेखर सिंह
''गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे''
''गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे''
शिव प्रताप लोधी
हिम्मत है तो कुछ भी आसान हो सकता है
हिम्मत है तो कुछ भी आसान हो सकता है
नूरफातिमा खातून नूरी
(विकास या विनाश?)
(विकास या विनाश?)
*प्रणय प्रभात*
जिस दिन
जिस दिन
Santosh Shrivastava
करें उम्मीद क्या तुमसे
करें उम्मीद क्या तुमसे
gurudeenverma198
तुम्हें पढ़ने के उपरांत
तुम्हें पढ़ने के उपरांत
Shreedhar
ज़रूरतों  के  हैं  बस तकाज़े,
ज़रूरतों के हैं बस तकाज़े,
Dr fauzia Naseem shad
"संयम"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
पाखी खोले पंख : व्यापक फलक की प्रस्तुति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
Ravi Prakash
एक तरफा मोहब्बत...!!
एक तरफा मोहब्बत...!!
Ravi Betulwala
एक पल को न सुकून है दिल को।
एक पल को न सुकून है दिल को।
Taj Mohammad
भगवान भी शर्मिन्दा है
भगवान भी शर्मिन्दा है
Juhi Grover
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
Rita Singh
प्रतियोगिता के जमाने में ,
प्रतियोगिता के जमाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
अश्विनी (विप्र)
नया साल
नया साल
'अशांत' शेखर
कौशल पढ़ते लिखते रहते
कौशल पढ़ते लिखते रहते
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आं
आज मैंने पिताजी को बहुत करीब से देखा इतना करीब से कि उनके आं
पूर्वार्थ
#हे_कृष्णे! #कृपाण_सम्हालो, #कृष्ण_नहीं_आने_वाले।
#हे_कृष्णे! #कृपाण_सम्हालो, #कृष्ण_नहीं_आने_वाले।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूं
indu parashar
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
नज़र
नज़र
Shyam Sundar Subramanian
मजदूर की मजबूरियाँ ,
मजदूर की मजबूरियाँ ,
sushil sarna
Loading...